समाज में हो रहे अत्याचारों और पापों को देख कर हम के सकते है कि कलयुग अपनी सारी सीमाओं को लांघता चला जा रहा है।
बेटियों को पैदा होने से पहले कोख़ में ही मार दिया जा रहा है, बहू – बेटियों को ज़िंदा जलाया जा रहा है, नाबालिग लड़कियों को भरे बाज़ार में बेआब्रू किया जा रहा है, अगर यह सब कलयुग के चिन्ह नहीं तो फिर क्या है?
धर्म के नाम पर लोग एक दूसरे की जान के दुश्मन बन बैठे हैं, यह सब कलयुग ही तो है।
ग्रंथों के अनुसार जब भी धरती पर अधर्म और पाप बढ़ जाता है, तभी ईश्वर किसी ना किसी रूप से धरती पर प्रकट हो कर हमारा उद्धार करते हैं।
भगवान राम और भगवान कृष्ण ने भी इसी प्रकार धरती पर अवतार लिया था। परंतु अब कहां है भगवान? धरती पर आ रहे इस घोर कलयुग से हमारे रक्षा करने के लिए भगवान अवतार क्यों नहीं ले रहे?
शास्त्रों के चार युग
शास्त्रों में कुल 4 युगों का वर्णन किया जाता है – सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग।
सतयुग धरती पर एक करोड़ बहत्तर लाख और अस्सी हज़ार साल तक चला। माना जाता है कि इस युग में धरती पर केवल आत्माओं का वास था।
इन आत्माओं का जीना मारना भी इन्हीं के हाथ में था। जिस शरीर में यह आत्माएं वास लेती थी उसकी लम्बाई 32 फुट तक होती थी। इन आत्माओं को उम्र लगभग एक लाख साल हुआ करती थी।
सतयुग समाप्त होने के बाद त्रेतायुग का आगमन हुआ। इसी युग में भगवान राम ने भी धरती पर जन्म लिया था । यह युग धरती पर तिर्तालिस लाख बीस हज़ार साल तक चला। इसमें एक आम इंसान 10,000 साल तक जीवित रह सकता था। इसी युग में भगवान राम ने भी सरयू नदी में समाधि ली थी ।
इस युग की समाप्ति के बाद द्वापरयुग की शुरुवात हुई। उस युग में छल, क्रोध आदि के निशान पर जाने लगे। यह युग आठ लाख चौंसठ हजार साल तक चला। इस सबके बाद कलयुग के आने की संभावना थी जहां धर्म पूरी तरह नष्ट हो जाएगा।
कैसे हुई कलयुग की शुरुवात?
महाभारत की समाप्ति के साथ द्वापरयुग के भी आख़िरी दिन नज़दीक आ रहे थे। महाराज युधिष्ठिर ने अपना सारा साम्राज्य अर्जुन के पौत्र परीक्षित को सौंप दिया और पांचों पांडव द्रौपदी के साथ मोक्ष यात्रा पर निकल गए। परीक्षित ने साम्राज्य के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया।
पांडवों के आगमन के समय सरस्वती नदी के किनारे पर धरती मां गाय के रूप में और धर्म बैल के रूप में बैठ कर बातें कर रहे थे। तभी धरती मां ने रोते हुए कलयुग के आगमन का संदेश दिया।
उसी समय कलयुग ने वहां प्रकट हो कर गाय और बैल को सताना शुरू कर दिया। महाराज परीक्षित भी वहां पहुंच गए और उन्होंने कलयुग का अंत करने का निश्चय कर लिया।
कलयुग के गिड़गिड़ाने पर महाराज को दया आ गई और उन्होंने उसे धरती पर 5 स्थानों में रहने की अनुमति दे दी। यह पांच स्थान थे – जुआ, स्त्री,मद्य, हिंसा और सोना।
कलयुग ने इस बात का फायदा उठाते हुए परीक्षित के सोने के मुकुट में ही अपना स्थान बना लिया। धीरे- धीरे उसका शासन बढ़ने लग गया। कहा जाता है कि यदि महाराज परीक्षित उस समय अपना मुकुट त्याग देते तो धरती पर कलयुग का प्रकोप कुछ कम किया जा सकता था ।
बढ़ते सालों में क्या होगा कलयुग का प्रकोप?
आने वाले वर्षों में मनुष्य की आयु 100 वर्ष होगी और धीरे- धीरे इससे भी कम होती जाएगी। यह भी कहा गया है एक समय ऐसा भी आएगा जब 5 साल की उम्र में ही स्त्री गर्भवती हो जाएगी।
शास्त्रों के अनुसार 16 वर्ष की उम्र में ही मनुष्य का बुढ़ापा आ जाएगा। जहां सतयुग में इंसान की लंबाई 32 फुट थी, वहीं कलयुग का अंत आते- आते मनुष्य की लंबाई घटती चली जाएगी और मनुष्य बोना होता जाएगा।
कलयुग के पचास हज़ार साल पूरे होने पर गंगा सूख जाएगी और धरती से धर्म का निशान मिटता चला जाएगा। धीरे- धीरे प्राकृति मनुष्य को विकलांग करती जाएगी। उसने मनुष्य को भेंट के रूप में जो कुछ भी दिया वह सब कुछ उससे वापिस ले लेगी।
कैसे होगा कलयुग का अंत?
हिंसा और अधर्म जब अपनी हर सीमा को पार कर चुका होगा तब एक बार फिर भगवान विष्णु 3 दिन के लिए धरती पर जन्म ले कर पापियों को नष्ट कर देंगे। उनका जन्म एक ब्राह्मण के घर पर होगा । इसी तरह कलयुग का अंत होने के बाद सतयुग की फिर से एक नई शुरुवात होगी।