केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित इस बेहद प्रसिद्ध पद्मनाभस्वामी मंदिर की कुछ ऐसी कहानी है, जिसे जान कर हर कोई बेहद आचंभित हो जाता है।
भगवान विष्णु के प्रति अटूट आस्था से बने इस मंदिर ने मानवता के लिए कुछ ऐसे सवाल पैदा कर दिए हैं, जिनके जवाब इकिस्वी सदी के महान वैज्ञानिकों के पास भी नहीं हैं।
देश भर से लोग इस प्रसिद्ध मंदिर में भरपूर आस्था से दर्शन करने आया करते हैं। इस मंदिर की सबसे खास बात है यहां मौजूद भगवान विष्णु की खूबसूरत प्रतिमा। कई वर्षों से त्रावनकोर का राज घराना ही दुनिया के इस सबसे महंगे मंदिर की देखभाल करता आ रहा है।
कितने तहखाने हैं पद्मनाभस्वामी मंदिर में?
कहा जाता है कि 6 वीं शताब्दी में बने इस मंदिर के 7 तेहखाने हैं। कुछ वर्ष पहले एक आई.पी.इस ऑफिसर सुंदराजन की याचिका दर्ज किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन तेहखानों को खोलने की कोशिश शुरू की गई थी।
इन तेहखानों को ए, बी, सी, डी, ई और फ का नाम दिया गया था। तेहखानों के खोले जाने पर यहां से भारी मात्रा में धन और बेशकीमती आभूषण बरामद किए गए थे। परंतु लाख कोशिशों के बाद भी मंदिर का सातवां द्वार यानी कि ‘वाल्ट- बी’ खोलने में प्रशासन असक्षम रहा। इस द्वार को खोलने की हिम्मत आज तक कोई भी दिग्गज नहीं कर पाया है।
मंदिर के पंडितों और वैदिक विद्वानों ने इन तेहखानों के खोलने पर काफी आपत्ति व्यक्ति की थी। उनका मानना था कि इन्हें खोलने का मतलब प्रलय को निमंत्रण देने के बराबर था। इस अंध विश्वास ने लोगों को और भी भयभीत तब किया जब दरवाज़ों के खोलने के कुछ समय बाद ही सुंदराजन की मृत्यु हो गई।
माना जाता है कि इस तेहखाने के पीछे करोड़ों हीरे जेवरात और संपत्ति मौजूद है। इतिहास में भी कई बार इस द्वार को खोलने की कोशिश कि गई, परंतु जिसने भी यह साहस दिखाया उसके लिए मृत्यु के द्वार खोल दिए गए।
इस रहस्यमय द्वार पर किसी भी प्रकार का कोई भी ताला नहीं लगाया गया है। द्वार पर बना सांपों का प्रतिबिंब ही इस खज़ाने की रक्षा करता है। कहां जाता है कि इस द्वार को ‘ नाग बंधम ‘ के मंत्रों से बंद किया गया है और इसे खोलने के लिए भी केवल मंत्रों का ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
केवल गरुढ़ मंत्र के उच्चारण से ही इस द्वार को खोला जा सकता है परंतु मंत्र उच्चारण में एक छोटी सी भूल, उस मनुष्य को मृत्यु के नज़दीक पहुंचा सकती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस द्वार को खोलना अशुभ माना जाता है।
क्या हुआ जब वॉल्ट बी को खोला गया ?
1930 में भी वाल्ट- बी को खोलने का प्रयास किया गया था परन्तु तब भी अचानक से कुछ खतरनाक ज़हरीले सांपों के हमले के कारण इस दरवाज़े ने लोगों को फिर एक बार आश्चर्य में डाल दिया था ।
लोगों का यह भी मानना है कि इस दरवाज़े के पीछे से समुद्र का शोर सुनाई देता है, जिस कारण इस वाल्ट – बी के अरब सागर से जुड़े होने की कहानी भी प्रसिद्ध है। विद्वानों के मुताबिक इस खोलने से केरल में बाढ़ जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
इस रहस्मयी मंदिर की असल कहानी से सिर्फ और सिर्फ़ एक ही व्यक्ति ज्ञात हैं। त्रवनकोर घराने के सिद्ध व्यक्ति उथ्राडोम थिरूनाल मार्थांडा वर्मा ही इस मंदिर के सातवें द्वार का रहस्य जानते हैं परन्तु उन्होंने भी इस विषय पर वर्षों पहले ही अपनी चुपी साध ली थी।
भगवान विष्णु के इस प्रसिद्ध पद्मनाभस्वामी मंदिर ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भले ही मनुष्य चाँद तक पहुंचने के सक्षम हो गया है, परंतु आज भी ब्रह्माण्ड में कई ऐसे स्थान हैं जहां ईश्वर की इच्छा के बिना एक कदम भी रखना असम्भव है।