कौन हैं भारत की ग्रेटा थनबर्ग – रिधिमा पांडे?

हालही में हुए यू एन सम्मेलन में 16 वर्षीय स्वीडिश वातावरण कार्यकर्ता, ग्रेटा थनबर्ग ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रशासन और विश्व भर के नेताओं के समक्ष अपनी विचारधारा व्यक्ति करी।

उन्होंने नेताओं की तरफ नाराज़गी जताते हुए उन्हें वातावरण भ्रष्टता के प्रति जागरूक किया। उन्होंने नेताओं को पर्यावरण सुरक्षा के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने की मांग की।

ग्रेटा के सिवा अन्य 15 युवा कार्यकर्ताओं ने भी विश्व भर से पर्यावरण सुरक्षा के मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठाई है। इस सूची में एक नाम भारतीय पर्यावरण कार्यकर्ता का भी है।

उत्तराखंड की रहने वाली 11 साल वर्षीय रिधिमा पांडे ने यू एन सम्मेलन में अपनी स्पीच की शुरुवात एक स्नेह भरे नमस्ते से की। हिंदी भाषा में अपना परिचय देने के बाद आगे की स्पीच रिधिमा ने अंग्रेज़ी में जारी रखी।

रिधिमा ने कहा,

“I am here because I want all the global leaders to do something to stop climate change. If It’s not going to be stopped, it is going to harm our futures.

8- 17 वर्ष की उम्र वाले 14 अन्य बच्चे भी इस सम्मेलन में मौजूद थे। फ्रांस, जर्मनी, पलाऊ, मार्शल आइलैंड्स, नाइजीरिया, साउथ अफ्रीका, अर्जेंटीना, ब्राज़ील, स्वीडन, ट्यूनीशिया और अमेरिका से भी कई युवा कार्यकर्ता इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचे हुए थे।

रिधिमा के लिए यह उनका पहला कदम नहीं था। इससे पहले भी कई बार उन्होंने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपनी आवाज़ उठाई है। सरकार और अन्य संगठनों के ख़िलाफ़ मोर्चा निकालते हुए रिधिमा ने पहले भी प्रकृति सुरक्षा के तरफ अपनी सोच को दर्शाया है ।

इससे पूर्व 2017 में भी रिधिमा ने भारतीय सरकार के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया था। यह मुक़दमा पर्यावरण नियतियों और कानूनों को सही तरह ना लागू करने के लिए दर्ज किया गया था। अपने कानूनी अभिभावक की सहायता से रिधिमा ने यह याचिका राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ( एन जी टी) के ख़िलाफ़ दर्ज की थी।

9 वर्ष की उम्र में उन्होंने देश में बढ़ रहे प्रदूषण और वातावरण के लगातार दूषित होने का विषय उठाया था। उन्होंने सरकार को औद्योगिक परियोजनाओं पर भी पुनर्विचार करने की मांग की थी।

उन्होंने सरकार को एक ‘ कार्बन बजट’ बनाने का भी सुझाव दिया था जिससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पर ध्यान रखा जा सके। रिधिना ने एक राष्ट्रीय जलवायु सुधार योजना बनाने का भी विचार पेश किया था।

रिधिमा के पिता दिनेश पांडे भी एक पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। पर्यावरण पर हो रहे भारी नुकसानों से भलीभांति परिचित होने के कारण वह भी अपनी बेटी के समर्थन में सदैव उसकी ढाल बन कर खड़े हैं।

पर्यावरण पर हो रहे अत्याचारों का सीधा परिणाम बढ़ रही प्राकृतिक आपदाओं से लगाया जा सकता है। 2013 में उत्तराखंड में आई भयानक बाढ़ में रिधिमा का परिवार भी विपत्ति – ग्रस्त लोगों में से एक था। प्रकृति के उस रौद्र रूप को अपनी आंखों से देखने के बाद इस परिवार ने प्रकृति की तरफ़ अपने कर्तव्य को निभाने की ठान ली।

“For someone so young, she is very aware of the issue of climate change, and she is very concerned about how it will impact her in future,” Rahul Choudhary, Ridhima’s lawyer told the news agency.

चिल्ड्रेन बनाम क्लाइमेट क्राइसिस नाम की वेबसाइट पर इस युवा कार्यकर्ता का नारा बेहद स्पष्ट और उपयुक्त है।

” मुझे एक बेहतर भविष्य चाहिए। मैं अपने आने वाले कल को बचाना चाहती हूं। मैं हम सबके आने वाले कल को बचना चाहती हूं। मैं सभी बच्चों और हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की रक्षा करना चाहती हूं।”

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