Rashi Ratan शुभ ग्रहों के प्रभाव में वृद्धि और अनिष्ट ग्रहों के कुप्रभाव को दूर करने के लिए उपयुक्त ग्रह रत्न एवं नग अत्यंत लाभदायक सिद्ध होते हैं।
अनुकूल नग जहां भौतिक समृद्धि में सहायक है वहां अनेक प्रकार के असाध्य मानसिक रोगों में भी लाभकारी होते हैं।
परंतु ध्यान रहे असावधानी वश गलत अथवा प्रतिकूल नग धारण करने से कई बार लाभ की अपेक्षा अनिष्ट की संभावना बढ़ जाती है।
गलत नग की अपेक्षा नग न धारण करना अधिक अच्छा है सही नग धातु आदि चयन के पश्चात शुभ मुहूर्त में अभिमंत्रित किए हुए नग का प्रभाव द्विगणित हो जाता है इसमें कोई संदेह नहीं
Rashi Ratan राशि रत्न
मेष | मूँगा |
वृष | हीरा |
मिथुन | पन्ना |
कर्क | मोती |
सिंह | माणिक्य |
कन्या | पन्ना |
तुला | सफ़ेद पुखराज |
वृश्चिक | मूँगा |
धनु | पीला पुखराज |
मकर | नीलम |
कुम्भ | लहसनियां |
मीन | गोमेद |
मूँगा (Coral)
लाल सिंदूरी रंग का मूँगा मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है 8 रत्ती का मूंगा मंगलवार को मृगशिरा, चित्रा या धनिष्ठा नक्षत्र में या मकर राशि चंद्रमा कालीन धारण करना चाहिए।
जिसे सोने अथवा तांबे की अंगूठी में इस मंत्र द्वारा “ॐ भौमाय नमः” मध्यमा उंगली में धारण करना बेहतर है मूँगा रक्त विकार, मंदाग्नि व शारीरिक दुर्बलता के लिए अत्यन्त लाभकारी है।
हीरा (Diamond)
शुक्र ग्रह की शांति के लिए गिरा पहना जाता है यह 2 से 7 रत्ती तक का होना चाहिए।
इसको शुक्रवार के दिन भरणी, पूर्वाफाल्गुणी या पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र कालीन सोने या प्लैटिनम की अंगूठी में जड़वा कर शुभ मुहूर्त में धारण करना चाहिए। इसके बीज मंत्र “ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः“
हीरे के अभाव में श्वेत गोमेद धारण कर सकते हैं हीरा धारण करने से बल वीर्य, धनलक्ष्मी, मंदाग्नि, स्वर भंग व कामजन्य रोगों की शांति होती है।
पन्ना (Emerald)
हरे वर्ण वाला दूध रत्न है इसको शुक्ल पक्ष के बुधवार के दिन आश्लेषा, ज्येष्ठा या रेवती नक्षत्र में पहने। 6 रत्ती वजन हो तो अत्यंत प्रभावकारी होता है सोने की अंगूठी में दाएं हाथ की कनिष्ठिका उंगली में धारण करना चाहिए
मोती (Pearl)
यह चंद्र रत्न है शुक्ल पक्ष के सोमवार या पूर्णिमा के दिन चांदी की अंगूठी में जड़वा कर कनिष्ठिका उंगली में धारण करना चाहिए।
रोहिणी, हस्त अथवा श्रवण नक्षत्र शुभ है 4 रत्ती का वजन वो तो अधिक प्रभावशाली होता है पेट के रोगों, दांत के रोग, ब्लड प्रेशर अधिक रोगों में हितकारी है चंद्रकांत मणि मोती का उपरत्न है
माणिक्य (Ruby)
इसे सूर्य मणि भी कहते हैं सिंदूरी अथवा सुर्ख रंग का होता है इसे सूर्य ग्रह की शांति के लिए रविवार को सोने अथवा तांबे की अंगूठी या उत्तर फाल्गुणी नक्षत्र हो तो अधिक अच्छा है। “ॐ घृणि सूर्याय नमः” बीज मंत्र का जाप करके धारण करने से तीव्र ज्वर, अतिसार, सिर पीड़ा, बवासीर, नेत्र आदि रोगों में शुभ है
पुखराज (Topaz)
सफेद और हल्दी रंग दोनों में मिलता है यह गुरु रत्न है इसे पुनर्वसु, विशाखा या पूरा नक्षत्र कालीन गुरुवार की प्रातः सूर्योदय के समय सोने की अंगूठी में तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए।
5 रत्ती का पुखराज अत्यंत प्रभावकारी होता है इसका बीज मंत्र यह है “ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:” यह नग बल, बुद्धि, विद्या, संतान सुख व स्त्रियों के लिए सुख में विवाह जीवन के लिए विशेष शुभ है
नीलम (Saphire)
यह नग नीली किरणों युक्त पारदर्शी होता है नीलम पंचधातु या सुवर्ण ही अंगूठी में कम से कम 4 रत्ती का होना चाहिए।
पुष्य, अनुराधा या उत्तराभाद्रपद नक्षत्र हों। शनिवार के दिन “ॐ शं शनिश्चराय नमः” का मंत्र पढ़कर धारण करें।
नीलम रत्न कुछ ही घंटों में अपना असर दिखाने लगता है यदि कोई अनिष्ट हो जाए या आंखों में पीड़ा अथवा रात को भयानक सपने आए तो उसे तुरंत उतार देना चाहिए।
उपयुक्त नीलम धारण करने से आकस्मिक धन लाभ, कारोबार में तरक्की रक्त विचार व चक्षु रोगों रोगों में लाभ होता है
राहु रत्न गोमेद (Zircon)
4 से 7 रत्ती का गोमेद स्वाति, शतभिषा या आद्रा नक्षत्र में पहनना चाहिए देखने में यह उल्लू की आंख यह सामान लगता है।
वकालत व राजपक्ष आदि की उन्नति के लिए गोमेद अत्यंत लाभकारी होता है रोग व शत्रुओं की शांति हेतु भी इसका प्रयोग प्रभावी रहता है।
केतु रत्न लहसनिया (Cats Eye Stone)
यह नग अंधेरे में बिल्ली की आंख के समान चमकता है इसको बुधवार के दिन कम से कम 4 रत्ती के वजन का पंचधातु की अंगूठी में कनिष्ठिका उंगली में धारण करें।
उस दिन अश्विनी मघा या मूल नक्षत्र हो तो शुभ है इसको धारण करने से भूत-प्रेत आदि की बाधा नहीं रहती संतान सुख, धन में वृद्धि व शत्रु विनाश में सहायता प्रदान करता है