Dengue Kya Hai : डेंगू बुखार एक ऐसी वायरल इंफेक्शन है जो एडेस एइजिपटी और एडेस अल्बोपिक्टस नाम के मच्छर द्वारा फैलाया जाता है।
माना जाता है कि इस मच्छर के काटने पर मरीज़ को एकदम से तेज़ बुखार हो जाता है। इस बुखार को ब्रेक – बोन फीवर भी कहा जाता है क्योंकि इस बुखार में मांसपेशियों हड्डियों और जोड़ों में बेहद दर्द महसूस होता है।
यह बुखार अधिकतर विश्व के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में पाया जाता है। गांवाें के मुकाबले यह बुखार शहर में रहने वाले लोगों को जल्दी जकड़ लेता है।
सबसे पहले यह बुखार बंदरों में देखा गया था जिसके पश्चात यह मानव जाति में भी दिखाई देने लग गई।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने भी है पोस्ट किया है कि 100 से 800 वर्ष पहले यह बुखार अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों में देखा गया था। 1950 में जब इस महामारी ने फिलीपींस और थाईलैंड के लोगों को जकड़ लिया था, समय इसे स्वीकृत किया गया था।
आज यह महामारी विश्व के कई हिस्सों में स्थानिक बन चुकी है। इस सूची में एशिया के 100 देश पेसिफिक, अमेरिका, अफ्रीका व द कैरीबियन मौजूद है।
पुअर्टो रिको, द यूएस वर्जिन आइलैंड, अमेरिकन समोआ, और गुआम जैसे स्थानों पर भी यह बीमारी पाई जाती है।
अधिकतर यह बीमारी महाद्वीपीय यूएस में नहीं देखी जाती परंतु एक बार 2009 में की वेस्ट, फ्लोरिडा में इसका प्रकोप देखा गया था। अधिकतर अमरीकियों को यह बीमारी अन्य देशों में पर्यटन करते हुए हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा यह घोषित किया गया है कि पिछले कई सालों में इस महामारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
यहां तक कि यह भी कहा गया है कि हर साल विश्व भर में करीब 50 से 100 मिलियन लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं और तकरीबन विश्व की आधी से ज्यादा आबादी में यह बीमारी होने का खतरा रहता है।
डेंगू के लक्षण और जटिलताएं
इस बीमारी का सबसे पहला लक्षण है – आकस्मिक और तेज़ बुखार। यह बुखार 104 डिग्री तापमान तक पहुंच जाता है।
इसके सिवा इस बीमारी के कुछ अन्य लक्षण भी बेहद महत्वपूर्ण हैं जैसे कि :
- तीव्र सर दर्द
- आंखों में दर्द होना
- जोड़ों में दर्द
- मांसपेशियों और हड्डियों का दुखना
- बुखार होने के 2 से 5 दिन बाद त्वचा पर चकत्ते का निशान दिखाई देना। इस निशान पर लाल रंग के धब्बे मौजूद होते हैं जिन पर अधिक खुजली भी महसूस होती है।
- नाक और मसूड़ों से रक्त प्रवाह होना
- 20 कोशिकाओं की वजह से त्वचा पर लाल और बैंगनी रंग के धब्बे पड़ जाना जिसे पेटिचीया भी कहा जाता है
- व्हाइट ब्लड सेल्स का स्तर गिरना
यह सभी लक्षण इंफेक्शन होने के 4 से 6 दिन बाद दिखाई देते हैं और ठीक होने से 2 हफ्ते पहले तक रहते हैं। नौजवान बच्चों और पहले ही इस बीमारी का सामना कर चुके लोगों में यह लक्षण बहुत कम मौजूद होते हैं या कई बाहर नहीं भी होते।
कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों और पहले भी इसका शिकार हुए लोगों में यह लक्षण तीव्र रूप में दिखाई देते हैं।
अधिकतर मरीज़ों में यह बीमारी अपने आप ही कुछ दिनों में ठीक हो जाती है परंतु कई मरीज़ों में यह मौत का कारण भी बन जाती है।
Dengue Kya Hai : आइए जानें इस बीमारी के दो संभावित घातक अभिव्यक्तियों के बारे में :
डेंगू हेमोरेजिक फीवर – इस बीमारी में बुखार उतरने के तुरंत बाद लगातार उल्टियां, तीव्र पेट दर्द और सांस लेने में तकलीफ़ जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
अगले 24 से 48 घंटों के बीच में सभी कोशिकाएं शरीर में लीक होने लग जाती है। इस सबसे लसिकाओंट पर ख़तरा बढ़ जाता है और लिवर के आकार में भी बढ़ोतरी दिखाई पड़ती है।
डेंगू शॉक सिंड्रोम – लगातार कोशिकाओं के लीक होने के कारण शरीर की संचार प्रणाली खराब हो जाती है। अगर सही समय पर इसका इलाज ना किया जाए तो अधिक रक्त प्रवाह और शॉक जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यह स्थिति जानलेवा भी साबित हो सकती है।
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कारण
डेंगू का मच्छर एक स्वस्थ मनुष्य को काट कर उसे बीमार कर देता है। एड़ी और गर्दन इस मच्छर के मुख्य टारगेट माने जाते हैं।
एक मच्छर अनेक व्यक्तियों को यह बीमारी फैला सकता है। जब तक मच्छर उस वायरस को पकड़े हुए है, तब तक वह जिसे भी काटेगा, उसे यह बीमारी हो जाएगी।
इसलिए अधिकतर मामलों में देखा गया है कि एक-दो दिन में ही घर के सभी सदस्यों में यह बीमारी फैल जाती है। यह जानना बेहद आवश्यक है कि डेंगू बुखार संक्रामक नहीं है यानी कि बीमार व्यक्ति से सीधा संपर्क बनाने से यह बीमारी नहीं फैलती।
निदान
इस बीमारी के लक्षण बेहद ही सीधे और स्पष्ट हैं। इसलिए मच्छर के काटने के बाद अगर आपको इनमें से में कोई भी लक्षण महसूस हो तो अपने डॉक्टर को संपर्क करने में बिल्कुल भी देरी ना करें।
अगर किसी यात्रा से आने के पश्चात आपको इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं तो पर्यटन स्थान की स्थानीय बीमारियों के बारे में जानें और अपने डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं। निश्चित निदान पर पहुंचने के लिए नज़दीकी हस्पताल से ब्लड टेस्ट ज़रूर करवाएं।
इलाज
इस बीमारी का कोई निश्चित इलाज नहीं है। क्योंकि यह एक वायरल बीमारी है इसलिए एंटीबायोटिक्स का इस पर कोई भी असर नहीं हो पाता। परंतु गंभीर दर्द के लिए आप अपने डॉक्टर को संपर्क करके टाइलेनोल जैसी दवाई ले सकते हैं।
अधिकतर मरीज़ 10 से 14 दिन के बीच में इस बीमारी को नष्ट कर देते हैं। अधिक पानी पीने और भरपूर आराम करने से सेहत में सुधार देखा जाता है।
कई गंभीर अवस्थाओं में मरीज़ को हस्पताल में दाखिल कर लिया जाता है। परन्तु वहां भी आराम के अतिरिक्त कोई अलग इलाज नहीं दिया जाता। खून और पानी की कमी को दूर करने के लिए नसों के माध्यम से खून व इलेक्ट्रोलाइट्स दिए जाते हैं।
निवारण
- कई देशों में डेंगवैक्सिया नाम का इंजेक्शन लोगों की इस बीमारी से रक्षा करता है।
- घरों की खिड़कियां, दरवाज़े बंद रखने से भी हम खुद को इस मच्छर से बचा सकते हैं।
- घर से बाहर निकलते हुए पूरे कपड़े पहन कर जाना भी सुरक्षा की तरह एक महत्वपूर्ण कदम है।