दुनिया भर में टीबी के मरीज़ों में 85 प्रतिशत मरीज़ फेफड़ों के टीबी के होते हैं। 15 प्रतिशत टीबी फेफड़ों के अलावा शरीर के दूसरे अंगों में होती है जिसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी या डिसएमिनेटेड ट्यूबरकोलोसिस कहते हैं।
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कौन अधिक ख़तरे में?
- सामान्य टीबी शुरुआत में फेफड़ों को ही प्रभावित करती है।
- धीरे-धीरे यह रक्तप्रवाह के ज़रिए शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है।
- यह रोग हर उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है।
- इस बीमारी का ख़तरा 5 से 15 साल तक के बच्चे और 35 से 50 साल तक के लोगों को अधिक होता है।
इन लक्षणों पर रखें नज़र (Symptoms And Treatment Of Bone Tb)
- बुखार, थकान, रात में पसीना आना और बेवजह वज़न कम होना आदि बोन टीबी के लक्षण Tb ke Lakshan in Hindi हैं।
- हड्डी के किसी एक बिन्दु पर असहनीय दर्द होता है।
- धीरे-धीरे मरीज़ का बॉडी पॅाश्चर और चलने का तरीका बिगड़ने लगता है।
- कंधे झुकाकर चलना, आगे की ओर झुक कर चलना और कई बार हडि्डयों में सूजन भी आ जाती है।
- दर्द का प्रकार भी क्षयरोग के सटीक स्थान पर निर्भर करता है।
- स्पाइन टीबी Bone Tb in Hindi के मामले में पीठ के निचले हिस्से में असहयनीय दर्द होता है।
- बोन टीबी से पीड़ित लगभग आधे मरीजों के फेफड़े भी संक्रमित हो जाते हैं।
- कई बार बोन टीबी से पीड़ित मरीजों को कफ़ न निकलने से यह पता नहीं चल पाता कि वे टीबी से पीड़ित हैं।
- इसके शुरुआती लक्षण स्पष्ट होने में वर्षों लग जाते हैं।
रीढ़ की हड्डी पर ज़्यादा ख़तरा
रीढ़ की हड्डी के टीबी Bone Tb Symptoms in Hindi को सही समय पर न पहचाना जाए तो यह गंभीर लकवे का कारण भी बन सकती है।
सही इलाज की कमी के कारण यह रीढ़ की हड्डी में एक से दूसरी हड्डी तक फैल सकता है, जिससे हडि्डयां कमजोर होने लगती हैं और इनके बीच कुशन का काम करने वाले डिस्क क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
- गंभीर मामलों में रीढ़ पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकती है
- मेरूदंड संकुचित हो सकता है
- शरीर के निचले हिस्से में लकवे का कारण बन सकता है
- रीढ़ की हड्डी बाहर निकलकर कूबड़ का भी रूप ले सकती है।
बोन टीबी कैसे पहचानें
- बोन टीबी का पता लगाने के लिए एक्स-रे और प्रभावित जोड़ वाले हिस्से से बहते तरल पदार्थ की जांच जरूरी है।
- ब्लड टेस्ट, ईएसआर टेस्ट, एक्स-रे से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
- रीढ़ और स्केलेटल (ढांंचे) टीबी के मामले में सीटी स्कैन और एमआरआई रिपोर्ट के आधार पर इलाज की प्रक्रिया शुरु की जाती है।
- बोन टीबी को शुरुआती चरण में अर्थराइटिस समझने की भूल हो जाती है।
- अर्थराइटिस के मरीजों को रात में सोते समय दर्द में राहत महसूस होती है
- बोन टीबी में मरीजों को सोते समय बैक्टीरिया की गतिविधि बढ़ने के कारण अधिक दर्द होता है।
क्या सावधानी बरतें
- फेफड़ों के टीबी के विपरीत बोन एवं स्पाइन टीबी के इलाज Symptoms And Treatment Of Bone Tb में संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए थोड़ा ज़्यादा वक़्त लगता है।
- सामान्य हड्डी के टीबी के इलाज Tb treatment in hindi में एक साल लग जाता है जबकि स्पाइन टीबी के मामले में लकवे का इलाज और रिकवरी की अवधि भी शामिल होती है।
- दवाइयों का कोर्स पूरा करना आवश्यक है। इसे बीच में कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
- बोन टीबी में बेड रेस्ट, अच्छा खान-पान, नियमित व्यायाम, दवाइयां और फिजियोथेरैपी मददगार होती हैं।
भारत में हर वर्ष टीबी के 20 लाख से ज़्यादा केस सामने आते हैं।
टीबी यानी क्षयरोग न सिर्फ़ केवल हमारे फेफड़ों को क्षतिग्रस्त करता है बल्कि हडि्डयों पर भी टीबी का असर होता है।
हडि्डयों में होने वाली टीबी को बोन टीबी या अस्थि क्षयरोग कहा जाता है।
भारत में टीबी के कुल मरीजों में से 5 से 10 प्रतिशत मरीज़ बोन टीबी से पीड़ित होते हैं।
अमूमन रीढ़ की हड्डी, हाथ, कलाइयों और कुहनियों के जोड़ों पर इसका असर ज़्यादा होता है।
इसकी सही समय पर पहचान और इलाज कराया जाए तो यह रोग पूरी तरह से साध्य है।
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