पर्यावरण सुरक्षा को नज़रंदाज़ करते हुए, बॉम्बे हाईकोर्ट ने पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा बीएमसी के खिलाफ दर्ज की गईं 4 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। मेट्रो गाड़ियों की पार्किंग के लिए शेड बनाने के लिए बीएमसी ने ऐरे फॉरेस्ट कॉलोनी में 2600 पेड़ों को काटने का फैसला किया है।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लिए यह एक बहुत बड़ी नाकामयाबी है। उन्होंने बीएमसी के इस फैसले पर पाबंदी लगाने के लिए याचिका दर्ज की थी। परंतु उन्हें इस पर न्याय नहीं मिला।
बीएमसी ने कोर्ट में अपनी सफाई देते हुए कहा था कि उनकी ट्री अथॉरिटी ने यह फैसला पर्यावरण सुरक्षा को दिमाग में रखते हुए ही लिया है।
ऐरे कॉलोनी 1,278 हेक्टेयर तक फैली हुई है। इन घने जंगलों को “लंग्स ऑफ मुंबई” भी कहा जाता है। ज़ाहिर सी बात है कि इनके कटने से पर्यावरण पर भारी नुकसान देखा जाएगा।
Source: Aam Janta
पर्यावरण कार्यकर्ता ज़ोरू भथेना ने भी कोर्ट में अपनी अपील दर्ज की थी। सीएनएन से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि,
“Extremely saddened to get this news. We will take this fight forward. It’s a sad day for Aarey today. We will approach the Supreme Court.”
पूरी घटना पर अपना दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने हार ना मानते हुए, सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दर्ज करने की बात की।
आम जनता और कई प्रतिष्ठ व्यक्तियों ने भी इसके ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ उठाई है। लोगों द्वारा कई आंदोलन भी किए जा रहे हैं।
जहां एक तरफ पूरा विश्व ग्रेटा थंबर्ग जैसी पर्यावरण कार्यकर्ता को सम्मान दे रहा है और वातावरण को बचाने की कोशिश में लग रही है, वहीं दूसरी तरफ़ बीएमसी के इस फैसले पर हाई कोर्ट की सहमति से लोग बेहद नाखुश हैं। हम पृथ्वी के इतिहास की छ्ठे सामूहिक विनाश की शुरुवात पर खड़े हैं और पेड़ों को नष्ट करने से हमारा कुछ भला नहीं होने वाला।